जमना मैया कि कहानी, जमना मैया कि जुबानी,
कभी मरते थे बे-पानी अब है जगह-जगह पर पानी,
करते रहे सभी मन मानी, किसी की कही कभी न मानी,
अब फिर गया है सब पर पानी,
कचरा डाला, कूड़ा डाला, भर भर डाला गन्दा पानी,
करदिया सारा गन्दा पानी, प्रकृति से जो की बेईमानी,
पड़ गया सब पर अब है पानी.
छाती पर हैं खेल बनाये, खेलों मैं भी खेल बनाये.
अब सबका खेल बिगाड़े पानी, हो गया सबकुछ पानी पानी,
पैसा बेह्गाया जैसे पानी, फिर भी देखो वही कहानी,
चारों ओर है पानी पानी.
जमना मैया कि कहानी, जमना मैया कि जुबानी,
कभी मरते थे बे-पानी अब है जगह-जगह पर पानी,
Thursday, September 23, 2010
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