Monday, January 12, 2009

आखिर कब तक...

चुप...आखिर कब तक ???

स्वर चुप,
दृष्टि मूक,
शांत गुन्जन,
देश स्तभ्ध.

लोक त्रस्त,
नेतृत्व पस्त,
तंत्र भ्रष्ट,
ह्र्दय दग्ध,
देश स्तभ्ध.

जीवन रुग्ण,
जीवित मृत,
यौवन पथ-भ्र्ष्ट,
भविष्य तम,
घनघोर तम,
असहाय हम,
सूर्य मूक,
चन्द्र सुप्त,
भारत ध्वस्त,
भारत ग्रस्त,
भारत त्रस्त,

आखिर कब तक ???

4 comments:

  1. अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति ...स्वागत है चिट्ठाजगत में ..बधाई

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  2. utho jaago, ruko mat, jab tak dhyey tak na pahunch jao.
    Achhi prastuti hai.

    Sulabh - Yadon ka indrajaal

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