चुप...आखिर कब तक ???
स्वर चुप,
दृष्टि मूक,
शांत गुन्जन,
देश स्तभ्ध.
लोक त्रस्त,
नेतृत्व पस्त,
तंत्र भ्रष्ट,
ह्र्दय दग्ध,
देश स्तभ्ध.
जीवन रुग्ण,
जीवित मृत,
यौवन पथ-भ्र्ष्ट,
भविष्य तम,
घनघोर तम,
असहाय हम,
सूर्य मूक,
चन्द्र सुप्त,
भारत ध्वस्त,
भारत ग्रस्त,
भारत त्रस्त,
आखिर कब तक ???
Monday, January 12, 2009
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जब तक हम न जगें।
ReplyDeleteअच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति ...स्वागत है चिट्ठाजगत में ..बधाई
ReplyDeleteutho jaago, ruko mat, jab tak dhyey tak na pahunch jao.
ReplyDeleteAchhi prastuti hai.
Sulabh - Yadon ka indrajaal
swagatam! welldone.
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