कतरनॅ
इधर उधर बिख्ररी पड़ी है,
मेरी खुशियॉ की कतरनॅ,
मेरा बीता हुआ वक्त,
मेरी खोई हुई बहारॅ,
कुछ ग़म के टुकड़े,
थोड़ी खुशी की कतरनॅ.
कभी वक्त मिलेगा तो,
जरूर यादॉ के हाथॉ से
समेटूँगा इन छिटके हुए पलॉ को.
अभी वक्त है इन यादॉ को और पुख़ता करलूँ
जी लूँ इन कोमल लम्हॉ को,
कि इनकी ज़िन्दगी का पता
ऊपर वाले को भी नही,
फिर बिखर जाएंगी,
मेरी यादॉ की बेपनाह कतरनॅ.
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