क्यॉकि आज मकर-संक्राति है....
क्यॉ कोई किसी के लिए आँसू बहाएगा,
कोई किसी के लिए कयॉ यादॉ का बोझ उठाएगा,
किसी को कोई क्यॉ अपने दिल मॅ बसाएगा,
कोई क्यॉ किसी पर दिल-जान लुटाएगा,
कोई किसी के साथ चलने को क्यॉ कदम बढाएगा,
कोई क्यॉ शत्रुता को मित्रता मॅ बदलने का सहस जुटाएगा,
क्यॉ कोई आपसी मत-भेद भुलाकर गले लग जाएगा,
काहे को आशा-दीप जगाता है पगले मनुदीप-
कोई क्यॉ तेरे वीरने दिल-मन मॅ-
अपना बसेरा करने आएगा...
क्यॉकि आज परिवर्तन का दिन है.
क्यॉकि यह मिलनोत्सव है,
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment