Sunday, February 14, 2010

चंद सवाल प्यार पर

क्यूँ ज़रूरत है प्रेम बताने की,

क्यूँ ज़रूरत है प्रेम जताने की,

क्यूँ ज़रूरत है एक दिन के बहाने की,

क्या ज़रूरत है किसी को आज़्माने की,

क्यूँ ज़रूरत है प्रेम की दबाने की,

क्यूँ यही आदत है ज़माने की,

क्या ज़रूरत है 14 फरवरी मनाने की,

हमें तो सदियों से आदत है प्यारबरसाने की।

3 comments:

  1. not bad !!

    kya zaroorat hai 14 feb manaane ki..

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  2. ujda chaman hai dil jaroorat hai sajaane kee
    badboo ko khusboo se dhak kar rakho
    kaheen duniyawale tumhen nafarat na karne lagen
    jaroorat jhootmoot kaa he sahi - pyaar jataane kee

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  3. सही लिखा आपने..!ये हमारी संस्कृति है भी नहीं!विदेशों में जहाँ परिवार नाम की संस्था बिखर चुकी है,उन्हें एक दिन के पर्व चाहिए..फादर्स डे,मदर्स डे आदि!हमें इनकी जरूरत ही नहीं है ,पर क्या करें इस मानसिकता का?टी वी से लेकर अखबार तक भरे पड़े है इससे? क्या इस दिन के अलावा प्यार नहीं होता?

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