मै सोया नही था मगर दोस्तो,
पडौसी का रोना जगा-सा गया.
निवाला भी लीला नही था अभी-
कि बच्चौ का रोना हिला -सा गया.
तडपते जो देखा है मैने उसे-
जख्मो को अपने भुला-सा गया.
चुप्पी जो देखी थी पसरी हुई-
वो लम्हा तो मुझको रुला-सा गय.
Tuesday, February 23, 2010
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बहुत सुन्दर रचना है...
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